मौसम बदल रहा है और बदलते मौसम के साथ ही साथ बीमारियां भी अपना स्वरूप बदल लेती हैं. इन्हीं में से एक है गठिया, जिसे रूमेटॉयड अर्थराइटिस यानी गठिया और जोड़ों का दर्द के तौर पर भी जाना जाता है. हर मौसम अपने साथ कुछ सुकून तो कुछ परेशानियां लेकर आता है. इस मौसम में हवा में चुभन का यह मौसम बुजुर्गों और गठिया के रोगियों की परेशानी बढ़ा देता है. इस मौसम में कई रोगियों के घुटने का दर्द, अकड़न और असहजता बढ़ जाती है क्योंकि वातावरणीय दबाव के कारण रक्तसंचार में बाधा होती है. गठिया रोग विशेषज्ञ इस मौसम में खास सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं. गठिया का अचूक इलाज हर रोगी तलाशता है. गठिया के लिए योग की सलाह भी दी जाती है और इसके साथ ही साथ गठिया रोग मे परहेज और गठिया के यौगिक उपचार पर चर्चा की जाती है. कुछ लोग गठिया का एलोपैथिक इलाज कराना चाहते हैं तो कुछ गठिया में प्राणायाम या गठिया का होम्योपैथिक इलाज तलाशते हैं.
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क्या है गठिया या रूमेटॉयड अर्थराइटिस
रुमेटाइड गठिया एक पुरानी सूजन की बीमारी है, जो किसी के जोड़ों को प्रभावित करती है. इससे जोड़ों में दर्द होता है और चलने में मुश्किल होती है. गठिया में शरीर में रोगों से लड़ने वाला तंत्र अपने ही ऊतकों पर हमला करने लगता है. यह जोड़ों को ही नहीं शरीर के आंतरिक अंगों पर भी असर ड़ालता है. रूमेटाइड गठिया का इलाज तकरीबन संभव नहीं है, लेकिन फ़िज़ियोथेरेपी और दवा से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.
किसे हो सकता है गठिया या रूमेटॉयड अर्थराइटिस
रूमेटाइड गठिया किसी को भी हो सकता है. महिलाओं में यह एस्ट्रोजन की कमी के चलते, आयरन, कैल्शियम के ज्यादा होने से भी हो सकता है. इसके अलावा शरीर के मिलने वाले जरूरी तत्वों की कमी, शराब का ज्यादा सेवन, ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं और किडनी से जुड़ी परेशानियों के चलते भी रुमेटाइड गठिया हो सकता है.
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गठिया रोग यानी रूमेटॉयड अर्थराइटिस के लक्षण
गठिया रोग यानी रूमेटॉयड अर्थराइटिस को अक्सर आयु सम्बंधी नुकसान या मौसमी बदलाव समझा जाता है, लेकिन यह गठिया के लक्षण हो सकते हैं. चलिए एक नजर में जानते हैं गठिया रोग या रूमेटॉयड अर्थराइटिस के लक्षण क्या होते हैं-
– शुरुआत में मरीज को बार-बार बुखार आ सकता है.
– मांसपेशियों में दर्द, हमेशा थकान और शरीर में जकड़न महसूस हो सकती है.
– भूख कम लगना और वजन घटने लगता है.
– बिना दर्द और सूजन के भी अकड़न महसूस होना रूमेटॉयड अर्थराइटिस का एक लक्षण हो सकता है.
– अपनी फाइनल स्टेट में इस रोग में जोड़ों में बेहद दर्द होता है. यह दर्द सुबह ज्यादा होता है.
– शरीर का तापमान बढ़ सकता है साथ इस पर लाल चतके आ सकते हैं.
– जैसे-जैसे रोग बढ़ता है जोड़ों में दर्द और सूजन आना शुरू हो जाता है.
– जोड़ों के आसपास गोला गांठें उभर आती हैं.
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क्या हैं गठिया या रूमेटॉयड अर्थराइटिस के उपचार
नई दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक्स विभाग के निदेशक डॉ. धनंजय गुप्ता के अनुसार, “जब दवा और ऑर्थोस्कोपिक उपचार से रोगी को राहत नहीं मिलती है, तब टीकेआर की सलाह दी जाती है. गंभीर रूप से विकृत घुटनों के लिए यह अंतिम विकल्प है और सबसे सुरक्षित ऑर्थोपेडिक प्रोसीजर में से एक है. मजबूत इंप्लांट से रोगग्रस्त नी कैप को बदलने से दर्द दूर होता है, घुटने की कार्यात्मकता वापस आ जाती है और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है. प्रोसीजर के बाद सही फिजियोथेरैपी करने से रोगी छह सप्ताह में पूरी तरह ठीक हो जाता है.”